Koyal-Subhadra Kumari Chauhan|koyal subhadra kumari chauhan poem summary in hindi|कोयल-सुभद्रा कुमारी चौहान

Koyal-subhadra kumari chauhan|koyal subhadra kumari chauhan poem summary in hindi|कोयल-सुभद्रा कुमारी चौहान 

संक्षिप्त व्याख्या:~ प्रस्तुत कविता "कोयल" हिंदी साहित्य की प्रसिद्ध कवियत्री सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा लिखी गई है। इसमें कोयल के स्वरूप व गुणों का बहुत ही सुंदरता से वर्णन किया है। कविता के माध्यम से कवियत्री कहती है कि कोयल एक पक्षी है जिसका वर्ण काला हैं परंतु उसकी बोली मन को आनंदित करने वाली हैं बहुत ही मीठी , मानो आमो के फलों में इसने अपनी मिठास घोली हो। आगे कवित्री कोयल को संबोधित करके पूछती है की तुम मुझे सच बतलाओ इतने दिनो बाद आई हो क्या मेरे लिए कोई संदेसा लाई हो । इतनी मीठी तान है तुम्हारी क्या तुम कोई गाना गाती हो या सुखी हुई धरा को देखकर बदलो से बरस जाने की विनती करती हो । ये जो तुम इतना मीठा बोलती हो जिसे सबको सुनकर आनंद का अनुभव होता है ये बोली क्या तुम्हारी मां ने तुम्हे सिखाई है क्या उसीने तुमको उड़ना सिखाया है । कविता के अंत में कवित्री कहती है की कोयल तुम बहुत प्यारी हो जो तुमने अपनी मां की दी शिक्षा को निष्ठा से गृहण किया है,और अपनी बोली से सम्पूर्ण संसार को यह संदेश देती हो के रूप-रंग चाहे जैसा हो सबसे प्रेम से बोलो और सबको अपना बना लो।


कोयल (कविता)~ सुभद्रा कुमारी चौहान 

देखो कोयल काली है पर, मीठी है इसकी बोली

इसने ही तो कूक कूक कर, आमों में मिश्री घोली

यही आम जो अभी लगे थे, खट्टे-खट्टे, हरे-हरे।

कोयल कूकेगी तब होंगे, पीले और रस भरे-भरे

कोयल कोयल सच बतलाना, क्या संदेसा लायी हो।

बहुत दिनों के बाद आज फिर, इस डाली पर आई हो।।

क्या गाती हो किसे बुलाती, बतला दो कोयल रानी

प्यासी धरती देख मांगती, हो क्या मेघों से पानी?

या फिर इस कड़ी धुप में हमको देख देख दुःख पाती हो।

इसीलिए छाया करने को तुम बादल बुलवाती हो॥

जो कुछ भी हो तुम्हे देख कर हम कोयल, खुश हो जाते हैं।

तुम आती हो – और न जाने हम क्या – क्या पा जाते हैं॥

नाच – नाच हम उठते नीचे, ऊपर तुम गया करती।

मीठे – मीठे आम रास भरे, नीचे टपकाया करती ॥

उन्हें उठाकर बड़े मजे से, खाते हैं हम मनमाना

आमों से भी मीठा है, पर कोयल रानी का गाना ॥

कोयल! यह मिठास क्‍या तुमने अपनी माँ से पाई है?

माँ ने ही क्‍या तुमको मीठी बोली यह सिखलाई है॥

हम माँ के बच्चे हैं, अम्मा हमें बहुत प्यारी हैं।

उसी तरह क्या कोई अम्मा कोयल कहीं तुम्हारी हैं?

डाल-डाल पर उड़ना-गाना जिसने तुम्‍हें सिखाया है।

सबसे मीठा-मीठा बोलो! – यह भी तुम्‍हें बताया है॥

बहुत भ‍ली हो, तुमने माँ की बात सदा ही है मानी।

इसीलिए तो तुम कहलाती हो सब चिड़ियों की रानी

शाम हुई, घर जाओ कोयल, अम्मा घबराती होंगी।

बार बार वह तुम्हे देखने द्वारे तक आती होंगी॥

हम जाते हैं तुम भी जाओ, बड़े सवेरे आ जाना

हम तरु के नीचे नाचेंगे, तुम ऊपर गाना गाना॥


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